कबुर दोहा

कबीर वचनामृत(दोहा)
—————————
बहते को मत बहन दो,
 कर गहि एचहु ठौर | कह्यो सुन्यो मानै नहीं,
 शब्द कहो दुइ और ||

अर्थ    – कबीरजी समझाते हैं की बहते हुए को मत बहने दो, हाथ पकड़ कर उसको मानवता की भूमिका पर निकाल लो | यदि वह कहा-सुना न माने, तो भी निर्णय के दो वचन और सुना दो |

No comments:

Post a Comment