कबीर वचनामृत(दोहा)
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कबीर संगी साधु का,
दल आया भरपूर | इन्द्रिन को तब बाँधीया,
या तन किया धर ||
अर्थ – सन्तों के साधी विवेक-वैराग्य, दया, क्षमा, समता आदि का दल जब परिपूर्ण रूप से ह्रदय में आया, तब सन्तों ने इद्रियों को रोककर शरीर की व्याधियों को धूल कर दिया | अर्थात् तन-मन को वश में कर लिया |
🙏 सुप्रभात 🙏
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कबीर संगी साधु का,
दल आया भरपूर | इन्द्रिन को तब बाँधीया,
या तन किया धर ||
अर्थ – सन्तों के साधी विवेक-वैराग्य, दया, क्षमा, समता आदि का दल जब परिपूर्ण रूप से ह्रदय में आया, तब सन्तों ने इद्रियों को रोककर शरीर की व्याधियों को धूल कर दिया | अर्थात् तन-मन को वश में कर लिया |
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