विचारधन 2.

*🙏तरक्की की फसल हम भी काट लेते,*
*थोडे से तलवे अगर हम भी चाट लेते...*

*हाँ ! बस मेरे लहजे में "जी हुजूर"न था,*
*इसके अलावा मेरा कोई कसूर न था..*

*अगर पल भर को भी मैं बे-जमीर हो जाता,*
*यकीन मानिए,मै कब का वज़ीर हो जाता...*
           
     🙏🌻सुप्रभात🌻🙏

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