🔹 *कबीर-वाणी* 🔹
माया मुई न मन मुआ,
मरी मरी गया सरीर।
आसा त्रिसना न मुई, .यों कही गए कबीर ।
अर्थ - कबीर कहते हैं कि संसार में रहते हुए न माया मरती है न मन शरीर न जाने कितनी बार मर चुका पर मनुष्य की आशा और तृष्णा कभी नहीं मरती, कबीर ऐसा कई बार कह चुके हैं।
*संकलन*
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
माया मुई न मन मुआ,
मरी मरी गया सरीर।
आसा त्रिसना न मुई, .यों कही गए कबीर ।
अर्थ - कबीर कहते हैं कि संसार में रहते हुए न माया मरती है न मन शरीर न जाने कितनी बार मर चुका पर मनुष्य की आशा और तृष्णा कभी नहीं मरती, कबीर ऐसा कई बार कह चुके हैं।
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