बोध कथा (bodhakatha)
चारोळी - मनपाखरू तुझी आठवण येताच मला मनपाखरू होऊनी यावेसे वाटते इवले इवले पंख लेऊनी मग भूर्रकन उडुनी भेटावेसे वाटते 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ *प्रमिलाताई सेनकुडे नांदेड*
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