बोध कथा (bodhakatha)
चारोळी - मृगसरी नभातून बरसल्या मृगसरी हिरव्या शालुत नटली धरती दिसे वसुंधरा सुंदर नववधुपरी हिरवा चुडा घालून सजली धरती 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ *✍प्रमिलाताई सेनकुडे नांदेड.
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