बोध कथा (bodhakatha)
*चारोळी* गार गार वार्यात मोगरा कसा फुलतो चांदोबा जसा आकाशी खुलतो. 〰〰〰〰〰〰 ✍ ©प्रमिलाताई सेनकुडे नांदेड.
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