बोध कथा (bodhakatha)
*रजनी* गडदलेल्या ढगांनी पांघरले दाट निशेचा रजनी अंधारून गेली वाट. 〰〰〰〰〰〰 ✍ प्रमिलाताई सेनकुडे ता.हदगाव जि.नांदेड.
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